शिकार (सेंदरा) पर्व

 आज झारखंड का प्रसिद्ध पहाड़ दलमा पहाड़,दलमा सेंदरा बुरू समिति के नेतृत्व में शिकार किया गया। जिसमें दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम ने पुजा अर्चना एवं दलमा के देवी देवताओं को आज्ञा लेकर शिकार किया। जिसमें हजारों की संख्या में दलमा पहाड़ में अपने पारंपरिक हाथियार लेकर शिकार किया गया।पिछले दो साल कोरोना के वजह से शिकार नहीं होने के कारण इस साल बड़ी उत्सुकता देखने को मिलता है।




क्या है शिकार (सेंदरा) पर्व

आदिवासियों में एक अनोखा पर्व शिकार (सेंदरा) पर्व जो अधिकतर आदिवासी के क्षेत्रों में देखने को मिलता है।

यह पर्व परपंरागत पर्व है जो पुरखों से चलती आ रही है,जो अभी भी कायम है।


इस पर्व में वन्य देवी को पुजा करके शिकार को आरंभ किया जाता है,। सुबह सुर्यस्त होने के पुर्व ही पहाड़ के रवाना हो जाते हैं, एवं सुर्यदय होने के पुर्व ही सब लौट आते हैं। इस बीच आदिवासी का संस्कृति, परंपरा को अनोखा रुप प्रदर्शित करते हैं।


जिसमें अलग अलग समुदाय में अपना शिकार नृत्य, शिकार गीत, को भी प्रदर्शित करते हैं इस पर्व को मानने के लिए काफी वीरता एवं साहसी होना चाहिए, क्योंकि इस पर्व को मानने से पहले अपनी घर द्वार छोड़ के एवं अपनी धर्मपत्नी को सिंदुर एवं चुडियां को खोल के जाना पड़ता है।

जब वह शिकार से लौटाने के बाद उसकी धर्मपत्नी पैर धोकर स्वागत करती है।

इस पर्व को मानने के पीछे बहुत सारे कारण है जैसे कि

--शिकार पर्व में ये मान्यताएं हैं कि इस पर्व मानने से जंगल जीव जंतु के संतुलन बानए रखते हैं,।



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Johar