बिखर गए
वन से भागे
वे बिखर गए जहां - तहां
गांव - गांव, नगर- नगर
रेल पटरी और सड़कों के आस - पास
और वहां भी
जहां आप सोच भी नहीं सकते मसलन
लोक-संस्कृति और धर्म में भी
कोई पारसी, कोई इसाई
बच गए वे हिन्दू
फिर भी उन्हें-------—
चैन से सोने और रहने नहीं दिया जाता
दो समय की रोटी के लिए
भागता-फिरता आदिम जन
न कभी चैन से खाता
न कभी चैन से सोता
आदिम जन मजदुरी के लिए जहां-तहां
भाग दौड़ करता
मानो लगती है–
असमाप्त परियोजना
जिंदगी की।।।।।।।।
जोहार 🙏🙏

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Johar