'अखडा़' आदिवासियों के लिए अहम भूमिका निभाता है। इसलिए आदिवासियों गांव में एक अखड़ा होना अनिवार्य हो जाता है। अखड़ा समाज के साथ साथ गांव के विकास नीति एवं आर्थिक उत्थान भी किया जाता है।
अखड़ा को कई प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं क्योंकि आदिवासी में अलग अलग जनजाति होने के कारण अलग अलग भाषाएं एवं लोकगाथा, लोकगीत होने से शब्दों में आलोचना किया जा सकता है परंतु उस सबका मतलब एक ही निकलता है।
"अखड़ा " आदिवासी में यह भी मान्यता है कि आदिवासी का वर्तमान काल, भूतकाल काल, भविष्य काल इस अखड़ा में ही तय किया जाता है।
अखड़ा को कई नामों जाने जाने कारण इसका कई भागों में विभक्त किया जा सकता है,,,,,,,,,,,,
1. नृत्य अखड़ा (संस्कृति अखड़ा)
आदिवासियों में नृत्य अखड़ा एक महत्वपूर्ण अखड़ा में से एक है। क्योंकि इसी अखड़ा में आदिवासी अपना लोकगीत एवं लोकनृत्य करते हैं। अखड़ा में अनेकों तरह के परंपारिक ड्रेस, वाद्य यंत्र देखने को मिलता है एवं उस वाद्य यंत्रों से निकालने वाली ध्वनि से समस्त आदिवासियों देवी देवता (सिंगबोंगा) प्रकट होना का मान्यता है और फिर सब एक साथ नृत्य करते हैं। एवं उस ध्वनि सुनने से आदिवासियों का एक अलग नयी उमंग जोश आ जाता है और फिर नृत्य करते हैं। अखड़ा में अपना लोकनृत्य के अलावा दुसरा कोई नृत्य करना वर्जित है।
2. समाजिक अखड़ा,.........
आदिवासियों का समाजिक कार्यों का निपटारा समाजिक अखड़ा में किया जाता है। संस्कृति अखड़ा में सामाजिक अखड़ा पर निर्भर रहता है क्योंकि जब तक समाज का पर्व त्यौहार, शादी, जन्म-मरण समाजिक अखड़ा में फ़ैसला नहीं होता है तब तक संस्कृति अखड़ा कुछ काम का नहीं है। इसमें आदिवासी का समाजिक व्यवस्था इसी अखड़ा में बनाई जाती है।करम,सोहराय,मागे जैसे पर्व अखड़ा के बिना अधुरा माना जाता है।
3. राजनीतिक अखड़ा.......
राजनीतिक अखड़ा में गांव को कैसे चलाया जाए एवं विकास का कार्य किसको दिया जाए,,,,,, इस सबका निर्णय इस अखड़ा में होता है। गांव के प्रशासनिक व्यवस्था
इसी में ही होता है।।।


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1 टिप्पणियाँ
nice
जवाब देंहटाएंJohar