"आदिवासियों की परंपरिक शिक्षा केन्द्र -- धुमकुडिया"
क्या है धुमकुडिया?
धुमकुडिया आदिवासियों का वह पंरापरा शिक्षा केन्द्र हैं, जहां आदिवासियों के कला -संस्कृति, परांपरागत, कृषि, पारंपरिक चिकित्सा इत्यादि का तौर तरीका सीखता है।
जो हर गांव में मौजूद होता है,और ये गांव के बीचों बीच होता है और उसी में अखड़ा भी मौजूद होता है। खासकर झारखंड के जनजाति गांव में अधिक पाये जाते हैं। जनजाति के विभिन्न विभिन्न संस्कृति भाषा होने से उस युवागृह को विभिन्न विभिन्न नामों से जाने जाते हैं।
जैसे,
उरांव जनजाति में धुमकुडिया या जोखंपोकरा,
हो/संथाल/मुंडा में गितिओडा़
गोंड में गोकुल
मलेर में कुदादा
युवागृह को इस तरह अलग अलग भाषा में बोली जाती है।
धुमकुडिया संस्कृति के साथ साथ खेल-कुद भी सिखाई जाती है।और युवा युवतियों को एवं नयी पीढ़ी को किस तरह से संस्कृति के साथ जीना सिखते है।
उस युवागृह में लड़का और लड़की को अलग अलग प्रशिक्षण किया जाता है।कहीं कहीं एक साथ भी प्रशिक्षण किया जाता है। उस युवा गृह को तीन भागों में विभक्त किया गया है।
1. युवा गृह
2. युवतियों गृह
3. युवा -युवतियो गृह
इस युवा गृह में 10साल से अधिक उम्र वाले बच्चों को प्रशिक्षण दी जाती है। इस धुमकुडिया में दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। पहला, जुनियर ग्रुप, दुसरा सिनियर ग्रुप।।
जुनियर ग्रुप, सिनियर ग्रुप को हमेशा अच्छा व्यवहार के साथ साथ सम्मान भी देता है।
कोई जुनियर ग्रुप में लगातार तीन साल प्रशिक्षण करने से उसे सीनियर ग्रुप में शामिल किया जाता है। उस धुमकुडिया में अनुशासन बनाये रखने के लिए सीनियर ग्रुप में किस एक को उस धुमकुडिया में नेतृत्व करने का मौका भी मिलता है।अगर उस धुमकुडिया में लड़का नेतृत्व करता है तो उसे "महतो" कहा जाता है और अगर लड़की नेतृत्व करें तो उसे बोरखा धनगिरन कहा जाता है।
और इस तरह धुमकुडिया आदिवासियों का ज्ञान का केंद्र कहा जाता है।धुमकुडिया में भले ही अक्षर का ज्ञान न मिला हो, वरन् जीवन जीने के लिए हर वह चीजें सिखाते हैं।
आज के संदर्भ में धुमकुडिया में,,,,,
जैसे जैसे समाज के लोग आगे बढ़ रहें हैं वैसे वैसे अपने समाज के संस्कृति को पछाड़ रहे हैं जिससे धुमकुडिया विलुप्त होने के कगार पर है।आप जितना भी बड़ा विद्वान बन जाए लेकिन अपनी पहचान अपनी संस्कृति से ही होती है। इसलिए हमें जागरुकता होने के जरूरत है ताकि अपने संस्कृति के धुमकुडिया को बाचाए रखें।। ताकि एक साथ हमें अपने अधुनिक शिक्षा के साथ साथ अपनी परांपरिक शिक्षा को ग्रहण कर सकते हैं।

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8 टिप्पणियाँ
Super
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंThank you...
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंThanks 😊
हटाएंGood
जवाब देंहटाएंThanks 👍
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंJohar