भुमिका
हंडिया का विशेषताएं
हर समुदाय का अलग-अलग परंपरागत पेय पदार्थ होते हैं, वैसे ही आदिवासी समुदाय में हडिया परंपरागत पर पदार्थ हैं और इस हडिया का प्रचलन आदिवासियों समुदाय में बहुत ज्यादा है ! हर क्षेत्र के आदिवासी अपना परंपरा पेय जो हडिया का समरूप है उसका नामकरण चाहे जो भी हो,,,,,,, सेवन बड़े ही शौक से करता है उसे अपने मेहमानों का स्वागत भी करते हैं
भारत में विशेष छोटानागपुर के हो, मुंडा ,उरांव, आदि में हडिया का खूब प्रचलन है। आदिवासियों के जीवन धर्म एवं संस्कृति में इस तरह का शामिल है कि उसके बिना उनकी किसी पर्व, त्यौहार पूजा-पाठ, शादी विवाह ,अथवा अन्य कोई भी सामाजिक कार्य योजना की कल्पना नहीं की जा सकती है।। हिन्दू मिथक के अनुसार देवताओं द्वारा सोमरास और भगवान शंकर द्वारा भोग का सेवन किए जाने की बात जग जाहिर
है ।
इसी भांति आदिवासियों के धर्म एवं संस्कृति में हंडिया के इस प्रकार से शामिल है कि उसके बिना कोई भी धार्मिक,
सामाजिक एवं सांस्कृतिक आयोजन आधुरा माना जाता है।
13 टिप्पणियाँ
Great information
जवाब देंहटाएंThank you.....
हटाएंअद्भुत बहुत ही अच्छा प्रयास
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,,,,,,
हटाएंहंडिया हमारे हो समाज रीति-रिवाज में शामिल किये जाने वाला पेह पदार्थ है इसे दसुतूर हिसाब से ही सेवन करना चाहिए अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमारे आने वाले पीढ़ियों पर इसका असर होता इसका बाजारीकरण नहीं होना चाहिए
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल,,,,,
हटाएंहंडिया हमारे समाज पवित्र पेय हैं। उसे भोग के तरह पीया जाना चाहिए।।।
ना की नशा पान की तरह।।।
बहुत अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद्। जरूरत है इसकी बाजारीकरण न हो।
जवाब देंहटाएंThank you।।।
जवाब देंहटाएंGreat job da 🙏 tq for your information 😇
जवाब देंहटाएंTq..........
हटाएंOne's more thank you to supporting me.......
Superb
जवाब देंहटाएं👍👍👍
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंJohar