सरहुल पर्व

                             सरहुल

                   ️आदिवासियों के जनसंख्या के अनुसार पुरे भारत में झारखंड चोथे सबसे बड़ी राज्य है। झारखंड में लगभग 32 प्रकार के जनजातीय है। सभी जनजाति अपने पहचान अलग अलग रखते हैं, उनके कई सारी संस्कृतियों से भी अलग अलग जनजाति को पहचान सकते हैं। उनके कोई सारे पर्व त्यौहार के आधार से भी पहचान सकते हैं।हर जनजाति का अलग अलग पर्व त्यौहार होता है लेकिन उसमें से एक मुख्य पर्व,"सरहुल", है जो लगभग हर जनजाति में मानाया जाता है,,,।।।।

  सरहुल आदिवासियों जनजातीय का मुख्य पर्व है जो कि हर जनजाति में मानाया जाता है।इस पर्व झारखंड में लगभग सभी जगह मनाया जाता है,, झारखंड के साथ साथ उड़ीसा, बंगाल, मध्य भारत के जनजातीय क्षेत्रों में मनाया जाता है।

                     यह पर्व आदिवासी के संस्कृतियों से जुड़े हुए हैं इसलिए आज काफी उत्साहित के साथ इस पर्व को मनाया जाता है। सरहुल वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है। इस पर्व में साल पेड़ को पुजा किया जाता है।जब साल का पेड़ के शाखाओं पर नए नए फुल खिलते है,तो उस फुल को गांव के देवता की पुजा करते है।,। "जिन्हें उन्हें जनजाति का रक्षक माना जाता है"। पर्व के पहले दिन गांव के पुजारी पुजा करते हैं। पुजा के दौरान ग्रामीणों,सरना,,के जगह को घेर लेते हैं, जैसे ही पुजा खत्म हो जाने के बाद सभी व्यक्ति उनके पवित्र पेय "हंडिया" को प्रसाद के रूप सेवन करते है,, उसके बाद मिल जुलकर संस्कृतियों नृत्य करते है।।।।

                     इस पर्व में फुल की पुजा की जाती है, इसीलिए अलग अलग जनजाति भाषा में अलग अलग नामों से जाना जाता है।। जैसे कि संथाल में "बाहा पर्व"  हो में ,"बा पर्व"।  ।।।।।।।।।।।   ।।।।।।

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Johar