सोहराई


 सोहराय 

झारखण्ड में आदिवासी का लोक कथा, परंपरा, रीति रिवाज, संस्कृतिक, लोक नृत्य, आदि काफी लोकप्रिय है |||

झारखण्ड संस्कृति का देन है,,,,,,,इनमे से एक है आदिवासी का पर्व --सोहराय पर्व 


सोहराय पर्व आदिवासी जनजाति का एक जाति 'संथाल समाज 'का लोकप्रिय है ||यह पर्व दिपावाली के दूसरे दिन मनाया जाता है ,,,,,इस पर्व में जीव जतुं कि पुजा की जाती हैं,,,,, आदिवासी को प्रकृति का पुजक कहा जाता है,,,,सोहराय पूरे झारखण्ड में मनाया जाने वाला पर्व है ||जिसमे पर्व के पहले से तैयारी घर की साफ साफई करते है,,, 

साफ साफई भी काफी अलग तरह से करते है,,, अपने रीती रिवाज के अनुसार घर को बेहद अलग पहचान से रगौली करते है,,,घर के दीवारों में विभिन्न विभिन्न प्रकार के जीव जतुं की चित्र बनते है एेसा करना उनका एक परंपरा हैं,,,  जादोपाटिया शैली काफी प्रचलित शैली है,,, सांथल समाज के मिथको पर आधारित इस लोककला में समाज के विभिन्न, रीति रिवाज, धामिर्क, विश्वासों और नैतिक मान्यता की परसतुति की जाती हैं,, अमतौर पर साफ सुथरा घर की दीवारों पर चिकनी मिट्टी का लेप और मिट्टी तथा वनस्पति से मिला रंगों से उकेरी जाने वाली आकर्षित अाकृतियां सोहरय कला मे जगली जानवार, जीव जतुं.  पेड पौधे का चित्रकांन दिवारो पर किया जाता है 

सोहरय चित्र भी आदिवासी औरतों में परंपरा हुनर के कारण जिदां है,,,,, सोहरय पर्व के अखिरी दिन बैलो -भैसो को सजा कर अपने अपने घरे के सामने बाधंते है,,,, गांव के लोगों कई तरह के करतब दिखाते है,, इस में "हाको -काटकोम "मनाया जाता है,,, जिसमे मछली, केकडा, आदि सामूहिक रुप से पकडे जाते है!!!! इसके बाद तीरंदाजी की प्रतियोगिता होता है,, जिसे "वैझा तुञ "कहा जाता है,,       ,,,,,,,,,,,,

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15 टिप्पणियाँ

  1. बेहतरीन जानकारी उपलब्ध कराई आपने !! ऐसे ही जनजातिय मुद्दों को हाईलाइट कराते रहें ! नवीन पीढ़ी को भी हमें हर तरह से एजुकेट कराना है !

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Johar